बेसिक शिक्षा परिषद के 1.50 लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में अभियान चलाकर छात्र-छात्राओं के संख्या त बढ़ावल जा रहल बा लेकिन सबसे अहम सवाल बा कि इ बच्चों के पढ़ाने के खातिर शिक्षकों के संख्या कब बढ़ी। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों में 30 बच्चों और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होखे के चाहि।
यही नहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान/गणित, भाषा और सामाजिक विषय के एक शिक्षक होखल अनिवार्य बा। लेकिन इ मानकों के पालन नइखे होत। पिछले साढ़े तीन साल में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के भर्ती प्रक्रिया शुरू ना हो सकल। ई स्थिति तब बा जबकि प्रदेश सरकार दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट में स्वयं स्वीकार कईले रहे कि उ समय शिक्षकों के 51112 पद खाली रहे। हर साल परिषदीय स्कूलों से औसतन 12 हजार शिक्षक सेवानिवृत्त होखेलन।
यदि ई संख्या जोड़ लीहल जाओ त शिक्षकों के कम से कम 75 हजार पद खाली बा। डीएलएड, बीएड, टीईटी/सीटीईटी पास बेरोजगार तीन साल से नई भर्ती शुरू करे के मांग कर रहल बाड़े लेकिन सुनवाई नइखे होत। आखिरी बार एक दिसंबर 2018 के 69000 भर्ती शुरू भईल रहे।
आरटीई लागू होखे के बाद ना भईल पद सृजन
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में जुलाई 2011 में आरटीई लागू होखे के तकरीबन 11 साल बाद भी मानक के अनुरूप शिक्षकों के पद सृजित नइखे भईल। कुछ साल पहले बेसिक शिक्षा परिषद के तत्कालीन सचिव संजय सिन्हा आरटीई मानक के अनुरूप प्रत्येक जिले में शिक्षकों के पद सृजित कईले रहले। सूत्रों के अनुसार उ रिपोर्ट में गाजियाबाद, नोएडा जैसे दो-चार जिलों के छोड़कर अधिकांश जिलों में शिक्षकों के पद बढ़त रहे। लेकिन सरकार से मंजूरी ना मिलला के कारण उ रिपोर्ट सार्वजनिक ना भईल।
17 लाख अतिरिक्त बच्चों के भईल दाखिला
प्रयागराज। प्रदेशभर के परिषदीय स्कूलों में एक से 30 अप्रैल तक चलावल गईल प्रवेश उत्सव में पिछले साल के तुलना में 17 लाख अतिरिक्त बच्चों के दाखिला भईल बा। बेसिक शिक्षा विभाग दो करोड़ नामांकन के लक्ष्य रखले बा। हर जिला के 20 प्रतिशत अतिरिक्त नामांकन के लक्ष्य मिलल रहे। अधिकांश जिलों में पिछले साल से अधिक बच्चों के प्रवेश भईल बा।