Saturday, May 18, 2024
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शिवपाल-आजम मुलाकातः चाचा के नए रुख से सपा में बेचैनी, यादव-मुस्लिम समीकरण भी हो सकेला प्रभावित

शिवपाल यादव शुक्रवार के जेल जाकर आजम खां से मुलाकात कईले और पहली बार आपन बड़ भाई मुलायम सिंह यादव पर ही निशाना साध दिहले। शिवपाल के ऐह तरह के बदलल रुख से सपा में भी बेचैनी बा। अब लगता बा कि उ अपना खातिर अलग राह चुनना तय कर लिहले बाड़े। पार्टी से त उ नाममात्र के खातिर ही बाड़े। परिवार में, सैफई में या यादव लैंड में उनकर भूमिका महत्वाकांक्षा से भरल होई त टकराव अभी और बढ़ी। क्योंकि अब भूमिका बदली।

अगर आजम खां और शिवपाल साथ आए तो समाजवादी पार्टी के MY यानी मुस्लिम-यादव समीकरण बिगड़ सकेला। यूपी में मुस्लिम अगर आजम खां के साथ लामबंद भईल त सपा के बड़ा नुकसान तय बा। इ चुनाव में करीब 90 फीसदी मुस्लिम वोट सपा के मिलल बा। मुस्लिम वोट के कारण ही पश्चिमी यूपी के सीटों पर अधिकांश मुस्लिम विधायक जीते। दोनों मिल कर दल बनावत बाड़े त ई सपा के खातिर मुश्किल हालात पैदा होखल तय बा। एमे अगर ‌ओवैसी भी साथ आए त इ गठबंधन और मजबूत होइ।

असल में लंबे अर्से से परिवार के मुखिया के भूमिका निभा रहे मुलायम सिंह यादव सियासत में आपन परिवार के सदस्यों के भूमिका मोटे तौर पर तय कर दिहले रहे। अखिलेश के सीएम बने से पहले तक मुलायम ही सर्वेसर्वा रहले। पार्टी संगठन के काम शिवपाल के जिम्मे रहल। शिवपाल दूसरे छोटे-छोटे दलों से गठजोड़ कर मोर्चा बनावे की रणनीति पर भी काम करते रहले। कारपोरेट जगत से रिश्ता बनावे के काम अमर सिंह देखत रहले।

रामगोपाल यादव संसद में लंबे समय से सपा के चेहरा रहले। दिल्ली के सियासत में सपा भूमिका के प्रसांगिक बनावे के जिम्मेदारी उनकर ही बा। वैचारिक पक्ष के मजबूती से रखे के काम जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह, मधुकर दिघे अन्य समाजवादी बखूबी करत रहले। वक्त के साथ कई नेता दिवंगत हो गईले। अखिलेश सीएम बन गईले ओकरी बाद सत्ता हाथ से निकल गईल और सपा या यूं कहिए मुलायम परिवार में आंतरिक कलह थमला के बजाए बढ़त ही रहल।

आखिर शिवपाल के मन के गुबार अचानक काहे फूट पड़ल। उ आपन पूरा सियासत में मुलायम के खातिर कभी लक्ष्मण त कभी हनुमान के भूमिका में रहले। जब शिवपाल के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश के प्रदेश अध्यक्ष बनावल गईल त उ पार्टी नेतृत्व के निर्णय के चुपचाप मान लिहले। जब सीएम पद पर ताजपोशी के खातिर अखिलेश के आगे कईल गईल तब भी उ मन मसोस कर रह गईले बाकि उफ तक ना कईले। अमर सिंह के प्रकरण हो या केहू आजम खां के पार्टी छोड़े के मामला। कौनो मसला पर शिवपाल यादव सार्वजनिक तौर पर आपन मतभेद जाहिर नइखन कईले। सपा में जब सत्ता संघर्ष चलत रहल और शिवपाल कहा कि एका के लिए उ कौनो भी त्याग करे के तैयार बाड़े। हम नेता जी पर सारा बातें छोड़ दिहले बानी। अखिलेश के दुबारा सीएम बनावे के खातिर हम तैयार बानी।

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