Saturday, April 27, 2024
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Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि के कलश स्थापना अउर पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021) 13 अप्रैल (मंगलवार) से शुरू हो रहल बा। नवरात्रि प्रतिपदा के दिन मां दुर्गा के उपासना के खातिर कलश स्थापना करल जाला। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपन के पूजा विधान बा। नवरात्रि के पहीले मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप के विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कयल जाला। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विधि-विधान से पूजा करने से उनकर आशीर्वाद प्राप्त होला अउर मनोकामना पूरा होला।

नवरात्रि (Navratri) पूजा में अलग-अलग तरह के पूजा सामग्री क विशेष महत्व बा। कहल जाला कि नवरात्रि पूजा में सामग्री पूरा न हो त व्रत और पूजा अधूरी मानल जाला। अईसन में नवरात्रि शुरू होखे से पहिले आप लिस्ट देखके घर ले आइए माता रानी के पूजा में लगे वाला पूजा सामग्री देख लेहीं-

मां दुर्गा के प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्‍ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब,कलावा, मेवे, हवन के लिए आम के लकड़ी, जौ आदि।

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि-

दिन- मंगलवार
तिथि- 13 अप्रैल 2021
शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक।
अवधि- 04 घंटे 15 मिनट

कलशस्थापना क दूसरा शुभ मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक।

नवरात्रि कलशस्थापना पूजा विधि-

– मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखीं अउर ओमान सप्तधान्य बोई।
-अब उसके ऊपर कलश में जल भरके और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधी।
-आम या अशोक के पत्ता के कलश के ऊपर रखी।
-नारियल में कलावा लपेटी।
-ओकर बाद नारियल के लाल कपडा में लपेट के कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखीं।
-घटस्थापना पूरा होने के पश्चात् मां दुर्गा क आह्वान करी।

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