नई दिल्ली : न्यूज़ डेस्क
दिल्ली की एक अदालत इ साल मार्च में दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लीग़ी जमात के इजतमा (धार्मिक सम्मेलन) में शामिल होवे के आरोप में गिरफ़्तार भइल 36 विदेशी नागरिकों के रिहा कर दिहले बिया .अदालत कहलस कि अभियोजन पक्ष इ साबित करे में नाकाम रहल कि अभियुक्त तब्लीग़ी जमात के मुख्यालय मरकज़ में मौजूद रहने .
उन लोगन पर कोरोना के गाइडलाइन्स के उल्लंघन कर तब्लीग़ी जमात के इजतमा में शामिल होवे के आरोप रहल . पुलिस के दावा रहल कि इ लोग कोरोना के दिशा-निर्देशन के उल्लंघन कइले बाने और इनके कारण बाद में 14 राज्यों में कोरोना फैलल .
अदालत में फ़ैसला सुनाते हुए चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने हज़रत निज़ामुद्दीन थाने के एसएचओ और इस केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफ़िसर के फटकार लगइने और कहने कि उ अभियुक्तन के पहचान करे में ग़लती कइले बाने .अभियुक्त लोग अदालत से कहने कि उस समय (मार्च में जब मरकज़ में इजतमा हुआ था) उ लोग निज़ामुद्दीन मरकज़ में मौजूद ना रहने और पुलिस उनके अलग-अलग जगह से गिरफ़्तार कइले बिया .
अदालत ने सुनवाई के दौरान पाइल गइल की अभियोजन “मरकज परिसर के अंदर अभियुक्तों की उपस्थिति को साबित करने में विफल रहा’ और गवाहों के बयानों में ‘विरोधाभास’ थे” . आदेश पारित करते हुए मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने हजरत निजामुद्दीन SHO के भी तलब कइने .
गवाहों के बयानों में विरोधाभास के जिक्र करते हुए अदालत भी अभियुक्तों द्वारा दलील के स्वीकार कइलस कि उस अवधि के दौरान उनमें से केहू भी मरकज में मौजूद ना रहल और उनके अलग-अलग जगह से उठाइल गइल रहल ताकि गृह मंत्रालय के निर्देश पर दुर्भावना से उन पर मुकदमा चलावल जा सके … ‘
उनकर इ आरोप भी रहल कि पुलिस उनके केंद्रीय गृहमंत्रालय के निर्देश पर साज़िशन गिरफ़्तार कइले रहल .अदालत उनकर इस दलील के भी स्वीकार कर लिहलस .कोर्ट कहलस की , ”यह मेरी समझ से परे है कि आईओ इंस्पेक्टर सतीश कुमार ने बिना पहचान परेड (टीआईपी) करे कुल 2343 लोगों में से 952 विदेशी नागरिकों को पहचान लिया जिन्होंने एसएचओ के अनुसार कोरोना गाइडलाइन्स का उल्लंघन किया था.”
कोर्ट इहो कहलस कि एसएचओ मुकेश वालिया के मालूम रहल कि मरकज़ में शुरू से ही कितने लोग जमा बाने फिर भी समय रहते उ कउनो कार्रवाई न करने जेसे उन्हें वहां से हटाइल जा सके”.