छठ पर्व के पहिला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिहल जाला।इ अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य के दिहल जाला एह समय जल में दूध डालकर सूर्य के अंतिम किरण के अर्घ्य दिहल जाला। मानल जाला कि सूर्य के एक पत्नी के नाम प्रत्यूषा रहे अउर ये अर्घ्य उन्हीं के दिहल जाला संध्या समय अर्घ्य दिहला से कुछ विशेष तरह के लाभ होला। छठ के पहिला अर्घ्य आज दिहल जाई। आइ जानल जा कि डूबते सूर्य के उपासना के का पौराणिक महत्व हवे अउर एसे आप रउरा लोगन के कौन से वरदान प्राप्त हो सकला –
सूर्य षष्ठी पर मिलि खोयिल मान सम्मान
- सूर्य षष्ठी के दिन सुबह के समय जल्दी उठी अउर स्नान कइके हल्का लाल वस्त्र पहनी
- एक तांबा के प्लेट में गुड़ अउर गेहूं रखके अपने घर के मंदिर में रखी
- अब एक लाल आसन पर बैठके तांबा के दीये में घी के दीपक जलायें
- भगवान सूर्य नारायण के सूर्याष्टक के 3 या 5 बार पाठ करी
- आपन गईल मान-सम्मान के प्राप्ति के प्रार्थना भगवान सूर्यनारायण से करी
- तांबा के प्लेट और गुड़ के दान कउनो जरूरतमंद व्यक्ति के सुबह के समय ही कई दें
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