तरुणा कस्बा, भोजपुरी लाइव (नई दिल्ली)
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने विदेशी सरकारों के अनुरोध पर 13 मई को उपज की विदेशी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद से 18 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है।
दुनियाभर में जारी खाद्य संकट के बीच भारत बड़ी उम्मीद बनकर उभरा है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने विदेशी सरकारों के अनुरोध पर 13 मई को उपज की विदेशी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद से 18 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है।बता दें कि यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न वैश्विक खाद्य संकट के कारण उपलब्धता में कमी आई है, जिससे अनाज की कीमतों में वृद्धि हुई है। नतीजतन एक दर्जन से अधिक देशों ने भारतीय गेहूं लदान का अनुरोध किया है।
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा, “भारत से बांग्लादेश, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और अफगानिस्तान में अन्न के शिपमेंट भेजे गए हैं। उनकी सरकारों ने वचन दिया है कि वे भारतीय गेहूं का उपयोग अपने स्वयं के उपभोग के लिए करेंगे, न कि व्यापार या निर्यात के लिए।”पिछले महीने, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत गेहूं का प्रमुख निर्यातक नहीं है, लेकिन यह “खाद्य संकट का सामना कर रहे मित्र देशों” को आपूर्ति करेगा।
केंद्र सरकार और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने इस सप्ताह अफगानिस्तान को 10,000 अतिरिक्त टन की आपूर्ति करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे कुल शिपमेंट 50,000 टन हो गया। WEP ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान में, लगभग 19 मिलियन लोग या आधी आबादी गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रही है।निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने के बाद से भारत ने भी लगभग 0.1 मिलियन टन गेहूं बांग्लादेश को भेज दिया है। इंडोनेशिया ने भी निर्यात प्रतिबंध के बाद इतनी ही मात्रा में आयात किया है। एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि विदेश से निर्यात अनुरोधों की जांच विदेश मंत्रालय द्वारा की जा रही है।