इंदौर के एमवाय अस्पताल में सोमवार के दो लोगों के एक-एक आंख निकाले के पड़ल। एक मरीज के उम्र 50 साल है अउर दूसरे के 65 साल रहे। उनकर जान बचावे के खातिर डॉक्टरों के सामने यही एक रास्ता बचल रहे। ये दोनों कोरोना के मात दे चुकल रहलें, पर इनके आंख पर खतरनाक फंगस म्यूकर यानी ब्लैक फंगस ने हमला कर देले रहे।
इ मरीजन के शुगर लेवल काफी बढ़ गयल रहे। जेकरे वजह से उनके फंगल इन्फेक्शन भायल। हैरानी के बात ई बा कि इ दोनों मरीजन के पहले से शुगर के कोई समस्या ना रहे। इंदौर के ई दो कहानि अनोखी ना बा। देशभर में कोरोना मरीजन अउर ओके मात दे चुकल लोगन में म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामला तेजी से सामने आ रहल बा।
ई एक दुर्लभ और जानलेवा फंगल इन्फेक्शन बा। अगर एकर सही समय पर इलाज ना कयल जाए त आंख के रोशनी जाए के अलावा मौत भी हो सकेला। साइनस से होते हुए आंख के अपने चपेट में लेने वाला ई फंगल इन्फेक्शन के शरीर में और फैलने से रोके के लिए डॉक्टर के सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े के ऊपरी एक हिस्सा निकाले के पड़त बा।
मजबूत इम्युनिटी वालन के खास खतरा ना
म्यूकर माइकोसिस मरीज के साइनस के साथ आंख, दिमाग, फेफड़ों या त्वचा पर भी हमला कर सकेला।
समय रहते इसे नियंत्रित ना कयल जाए तो ई जानलेवा भी हो सकेला।
ब्लैक फंगस ऐसे लोगों पर खासतौर पर असर डलेला, जिनके बीमारि से लड़ने के क्षमता यानी इम्युनिटी कमजोर होला।
मजबूत इम्युनिटी वाले लोगन के लिए आमतौर पर ब्लैक फंगस खास खतरा ना बा।
अस्पताल में ज्यादा दिन और ज्यादा स्टेरॉयड मतलब, ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा
कोविड टास्क फोर्स के अनुसार कोरोना के दौरान ब्लैक फंगस के इंफेक्शन होने पर मरीज के जान के खतरा बढ़ जाला।
जवन मरीज जितने लंबे समय तक अस्पताल में रहीहें अउर जितनी अधिक स्टेरॉयड दवा खाता रहीहें, ओके ओतना खतरा बढ़ता जाई।