न्यूज़ डेस्क दिल्ली
भारतीय सेना में महिला अधिकारियन के लेकर सुप्रीम कोर्ट सोमवार के आपन फैसला सुनइलस . जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच इ फैसला सुनाते हुए कहलस कि सेना में महिला अधिकारियन के नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया बा . कोर्ट केंद्र सरकार के फटकार लगाते हुए कहलस कि सुप्रीम कोर्ट ,हाईकोर्ट के फैसला पर रोक नहीं लगाईले बा,
एकरा बावजूद केंद्र सरकार हाईकोर्ट के फैसले के लागू नहीं कइलस . महिलाओं के शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारन के कोर्ट खारिज करते हुए कहलस कि केंद्र आपन नजरिया और सोच में बदलाव करे.
अदालत के फैसला के अनुसार, सेना में अब महिलावन के भी स्थायी कमीशन मिली .इ मामले पर अपना फ़ैसला में सोमवार के सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय रस्तोगी कहलें कि –
- समाजिक धारणाओं के आधार पर महिलाओं को समान मौक़े न मिलना परेशान करने वाला और अस्वीकार्य है.
- महिला सैन्य अधिकारियों को परमानेंट कमीशन न देना सरकार के पूर्वाग्रह को दिखाता है.
- केंद्र सरकार को महिलाओं के बारे में मानसिकता बदलनी होगी और सेना में समानता लानी होगी.
- महिलाओं का कमांड पोस्ट पर प्रतिबंध अतार्किक है और समानता के ख़िलाफ़ है.
फ़ैसला सुनाते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहले कि ‘समानता का अधिकार एक तार्किक अधिकार है.’
फ़ैसला आवे के बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर में मौजूद महिला सैन्य अधिकारी बोलने कि इ फ़ैसला बेहद ख़ुशी वाला बा . उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला गौरवांवित करने वाला और ऐतिहासिक है.