Tuesday, April 30, 2024
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राणे की गिरफ्तारी सही या सत्ता का घमंड…? उद्धव ठाकरे ने भी कही थी CM योगी को चप्पल से मरने की बात…

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को जिस बात के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया है, ठीक वैसी ही बात राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए खुलेआम एक रैली में कह चुके हैं। रायगढ़ जिले में सोमवार को जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान नारायण राणे ने कहा था कि यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री (उद्धव) को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। वह यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने कहा, ”भाषण के दौरान वह पीछे मुड़ कर इस बारे में पूछते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता।”

राणे की गिरफ्तारी के बाद उद्धव ठाकरे के एक पुराने और आपत्तिजनक बयान की चर्चा होने लगी है, जो उन्होंने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दिया था। ठाकरे ने योगी को चप्पल से मारे की बात कही थी। आपको बता दें कि ठाकरे ने यह बयान 2018 के मई के महीने में महाराष्ट्र के पालघर में चुनाव प्रचार के दौरान दिया था। इस दौरान बीजेपी और शिवसेना के रिश्ते में खटास आ चुकी थी।

उद्धव ठाकरे का कहना था कि शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते वक्त योगी आदित्यनाथ ने खड़ाऊं पहन रखे थे, उन्होंने ऐसा करके शिवाजी का अपमान किया। आगे उन्होंने कहा, ‘यह योगी तो गैस के गुब्बारे की तरह है, जो सिर्फ हवा में उड़ता रहता है। आया और सीधे चप्पल पहनकर महाराज के पास गया। ऐसा लग रहा है उसी चप्पल से उसे मारूं।’

ठाकरे के उस बयान पर योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, ‘ मेरे अंदर उनसे कहीं ज्यादा शिष्टाचार है और मैं जानता हूं कि कैसे श्रद्धांजलि दी जाती है। मुझे उनसे कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है।’’ 

राणे और उद्धव की है पुरानी दुश्मनी

एक समय में नारायण राणे शिवसेना के बेहद आक्रामक नेता के तौर पर गिने जाते थे. उन्हें शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे का समर्थन हासिल था. लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि शिवसेना में उनके लिए सबकुछ ठीक चल रहा था, पार्टी के अंदर उन्हें काफ़ी विरोध झेलना पड़ रहा था।

उद्धव और राज ठाकरे पर ‘द कजिन्स ठाकरे’ किताब लिख चुके धवल कुलकर्णी ने एक न्यूज़ चैनल से बता करते हुआ बताया था की , “1995 में जब शिवसेना और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी तो शिवसेना में दो विरोधी गुट थे, एक तरफ़ तो उद्धव ठाकरे, मनोहर जोशी और सुभाष देसाई थे जबकि दूसरी तरफ़ राज ठाकरे, नारायण राणे और स्मिता ठाकरे थीं.”

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