Saturday, May 18, 2024
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अगला होंखे वाले CJI जस्टिस एनवी रमना कई बड़ा-बड़ा फैसला में रहल बाने शामिल

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना के मंगलवार के देश के नया मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त कयल गयल। ई नियुक्ति वर्तमान CJI एसए बोबडे के स्थान पर कयल गयल बा। बोबडे 23 अप्रैल के सेवानिवृत्त होईहें। सरकार के ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, जस्टिस रमण 24 अप्रैल के भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर प्रभार संभलिहे। जस्टिस रमण 26 अगस्त, 2022 तक देश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहिहें।

जस्टिस एनवी रमण कई महत्वपूर्ण मामल सुनले बाने
जस्टिस एनवी रमण शीर्ष अदालत में कई हाई प्रोफाइल मामला के सुनले बाने। उनके अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों के पीठ पिछले साल मार्च में अनुच्छेद 370 के खिलाफ कई याचिका के सात न्यायाधीशों के वृहद पीठ में भेजले से इनकार कर देले रहलें। दरअसल, अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फैसला के वैधानिक वैधता के चुनौती देबे वाली कई याचिकाएं दायर कयल गयल रहे।

सीजेआई का पद
जस्टिस एनवी रमण पांच न्यायाधीशों के संवैधानिक पीठ के हिस्सा रहलें, जेमे नवंबर 2019 में कहल गयल रहे कि सीजेआई के पद सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण बा। नवंबर 2019 के फैसले में शीर्ष अदालत ई भी कहले रहे कि जनहित में सूचनाओं के उजागर करते हुए न्यायिक स्वतंत्रता के भी दिमाग में रखे के होई।

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अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता अउर इंटरनेट पर कारोबार करल संविधान के तहत संरक्षित
एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस रमण के अध्यक्षता वाली पीठ पिछले साल जनवरी में फैसला देले रहे कि अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता अउर इंटरनेट पर कारोबार करल संविधान के तहत संरक्षित बा।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रतिबंध के आदेशों के तत्काल समीक्षा करे के निर्देश देले रहले। उ शीर्ष अदालत के पांच न्यायाधीशों वाली उ संविधान पीठ के भी हिस्सा रहले, जवन 2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के सरकार के बहाल करे के आदेश आदेश देले रहे।

फडणवीस के शक्ति परीक्षण क आदेश देले रहें
नवंबर 2019 में उनके अगुवाई वाली पीठ महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सदन में बहुमत साबित करे के लिए शक्ति परीक्षण क आदेश देले रहलें। जस्टिस रमण के अध्यक्षता वाली पीठ उ याचिका पर भी सुनवाई कईले रहे, जेमें पूर्व एवं मौजूदा विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निस्तारण में अत्यधिक देरी के मुद्दा उठावल रहे।

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