Friday, May 3, 2024
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यूपी के चुनावी आग्निपथ पर काहें मायावती अकेले चले के सोचत बाड़ी ?

आशीष मिश्र (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली : दलित वं पिछड़न के नेता कांशीराम के राजनीतिक दर्शन का अहम पहलू रहल – “राजनीति सत्ता के लिए करो, सत्ता हासिल ना हो पा रही हो तो ये देखो कि तुम सत्ता से खुद के लिए लाभ कैसे कमा सकते हो।”

अइसन लागता कि बहुजन समाज पार्टी के नेता मायावती आपन राजनीतिक मार्गदर्शक कांशीराम के एही राजनीतिक दर्शन पर अमल करत बाड़ी । उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब बा और राजनीतिक हलचल काफी जोर पे बा । पहले, अखिलेश यादव और अब मायावती घोषणा केइले बाड़ी कि उनकर पार्टी उत्तर प्रदेश में कउनो भी राजनीतिक दल से चुनावी तालमेल ना करी ।

मायावती इ स्पष्टीकरण उस समय देहली जब मीडिया के एगो तबका में इ खबर चलल या चलवाई गइल कि उत्तर प्रदेश में बीएसपी. ओवेसी और राजभर की पार्टी के साथ चुनाव में तालमेल करे जा रहल बिया । मायावती इ स्पष्ट कइली कि उनकर पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में अकेले दम पर चुनाव लड़ी और मीडिया के एक वर्ग में उड़त रहल तालमेल के खबर आधारहीन बा । मायावती बहुजन समाज पार्टी के मीडिया सेल के कामकाज पार्टी नेता सतीश चंद्र मिश्र के देखे के कहले बाड़ी ताकि पार्टी के बारे में अइसन अफवाहें ना उड़े सकें । मायावती ट्वीट कइली कि, उनकर पार्टी सिर्फ़ पंजाब में गठबंधन में चुनाव लड़े जा रहल बिया । पंजाब में बीएसपी , अकाली दल के साथ गठबंधन कइले बिया ।

का इ मायावती के रणनीति के हिस्सा बा ?

मायावती पिछले कुछ महीना से राजनीतिक पटल पर महज औपचारिकता निभावे भर के दिखल रहली। हाले में उ तब चर्चा में आइल रहली जब सोशल मीडिया पर उनके लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी वाला फ़िल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा के एगो पुराना वीडियो वायरल भइल रहल । कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के असर पूरे देश में दिखल। उत्तर प्रदेश में गंगा में उतरात शवन के मसले पर भी मायावती प्रतिक्रिया देवे के रस्म अदायगी भर कइली । उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों पंचायत चुनाव भइल रहे । मायावती के पार्टी के प्रदर्शन ओमे भी अच्छा ना रहल । कोरोना काल में मायावती और उनकर पार्टी के चुप्पी से भी कई सवाल पैदा भइल। हालंकि मायावती के कदम के भांप पावल थोड़ा कठिन काम बा और उनकी पार्टी राजनीति में अप्रत्याशित कदम उठावे खातिर ही जानी जाले ।

यूपी के राजनीति के समझे वाले इ जानत बाने कि मायावती राजनीति के नफे नुकसान के मामले में माहिर खिलाड़ी बाड़ी। उ आपन ताकत और कमजोरी दोनों के भली भांति जाने ली । पंचायत चुनावों से उ आपन पार्टी के भविष्य के थाह ले लिहले बाड़ी और उ जो कुछ भी कर रहल बाड़ी ओही के अनुरूप करिहें। मायावती को मालोम बा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के रोके और सत्ता तक पहुंचने खातिर विपक्षी दलों से गठबंधन करे के होई । बहुत संभव बा कि इ गठबंधन चुनाव बाद हो। अइसन स्थिति में बारगेंनिंग खातिर उ आपन दरवाजा खुलल रखल चाहत बाड़ी । चुनाव बाद उनकर पार्टी के जो भी स्थिति होई उ फैसला भी ओही के देख कर ही करल चाहत बाड़ी ।

रावण से मिलत बा चुनौती

मायावती के लिए आपन वोट बैंक के अपने पक्ष में बनाए रखल एक बड़ी चुनौती बा । आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण पिछला दिन आपन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चित्तौड़ को बनइले बाने और उनकर पहला काम उ वोटबैंक के आपन पक्ष में करल बा जिस पर अब तक मायावती के दावेदारी करत रहली । चित्तौड़ खुद कहने कि चंद्रशेखर दबे कुचलों का साथ देवत बाने । उ समाज के लोगन के साथ देत बाने । बहन जी खुद फील्ड में ना बनी । उ मिशन और मूवमेंट से हट गइल बानी । चित्तौड़ की तरह ही दूसरे नेता भी चंद्रशेखर आज़ाद के पार्टी के दामन थामत बाने । इसमें ऐसे भी लोग शामिल बाने जिनके इ लागत बा कि बीएसपी के ग्राफ़ गिरल जात बा और आपन राजनीतिक करियर और बहुजन मूवमेंट के ज़िंदा रखे खातिर उ नया विकल्पन के आज़मावे के तैयार बाने ।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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