राज्यपाल कोटा से भरल जाए वाली 12 सीटन के खातिर नामन के सूची बुधवार के जारी कर देबल गईल। रालोसपा के जेडीयू में विलय कराके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बने वाले उपेंद्र कुशवाहा विधान परिषद के सदस्य बनिहें। कयास लगावल जात रहे कि उपेंद्र कुशवाहा के पत्नी एमएलसी बनिहें लेकिन बुधवार के जेडीयू राजभवन कोटा में आधा हिस्सा लेले के बाद अपने छह एमएलसी के नाम के ऐलान कईलस। इ लिस्ट में उपेंद्र कुशवाहा के भी नाम रहे। एकरे अलावा सूची में मंत्री अशोक चौधरी, संजय सिंह, संजय गांधी, ललन सर्राफ और रामवचन राय के नाम भी शामिल बा।
राज्यपाल के कोटे से नामांकन के खातिर चुनल गयल नेताओं में दो मंत्री अशोक चौधरी और जनक राम शामिल बाने, ई लोग कउनो भी सदन के सदस्य नाहीं रहलें। बीजेपी और जेडी-यू दोनों ने छह-छह सीटन के बटवारा भईल बा। बजट सत्र से पहीले नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में बहुत विलंब के बाद सबकर निगाह राज्यपाल कोटा से विधान परिषद के 12 सीटन के मनोनयन पर रहे, जवन मई 2020 से खाली रहलीं।
एसे पहीले मंगलवार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी कउनो सदन के सदस्य बनले बगैर नौ महीना तक मंत्री पद जारी रखले के मुद्दा के उठउले रहलें। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी कउनो भी सदन के सदस्य ना बाने।
बता देंही कि बिहार विधानसभा चुनाव में अंतिम चरण के वोटिंग से पहिले नीतीश सरकार के दो मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार के कुर्सी छीन गईल रहे। संवैधानिक बाध्यता के चलते दोनों सदस्यन के मंत्री पद खत्म कयल गईल। दोनों बिहार विधान परिषद के सदस्य रहल बाने। दोनों के सदस्यता छह मई 2020 के खत्म हो गईल बा। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक विधानमंडल के कउनो सदन के सदस्य रहे बगैर कोई छह महीने से ज्यादा मंत्री पद पर ना रह सकेला। हालांकि,अशोक चौधरी फिर से नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल हो गईल बाने।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन और भाजपा के पूर्व सांसद जनक राम भी कैबिनेट में बाने। जनक राम भी कउनो सदन के सदस्य ना बाने अउर उनके उच्च सदन में नामित भयल आवश्यक बा। शाहनवाज हुसैन पहिले से ही विधान परिषद के खातिर चुन लेबल गयल रहलें।